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नन्हे हसीब नियाज़ी ने रखा पहला रोजा !

रोज मोबाइल में रोज़े के वीडियो देख रोज़ा रखने की जिद !

जयपुर ! जयपुर के संजय नगर भट्टा बस्ती के सात साल के नन्हे मोहम्मद हसीब नियाज़ी ने पहला रोज़ा रखा !

ये बात बिल्कुल सही है आधुनिक तकनीक का सही तरीके से उपयोग हो तो वो जल्द अर्श पर पहुंचा देती है और ग़लत उपयोग में ली जाए तो अर्श से फर्श में लाने देर भी बिल्कुल नहीं लगाती !

रोजेदार हसीब मोबाइल से दुआ याद करते हुए

ऐसा ही इस नन्हे बालक हसीब के साथ हुआ !
न्यू ऊषा पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ने वाला हसीब होनहार एवं प्रतिभाशाली है !
आजकल के बच्चे मोबाइल में गेम खेलते है और वीडियो देखते है लेकिन ये नन्हा बालक मोबाईल में रोज़ दीन और आधुनिक इल्म सीखने की कोशिश करता है !
इस मोबाइल से ही होनहार हसीब ने अपनी उस्ताज अलवीरा की मदद से बहुत सारी दुआएं याद की है एवं अंग्रेजी और गणित में लिखना और पढ़ना सिख रहा है !

मोहम्मद हसीब का सपना और ज़िद हैं की वह पढ़ लिखकर डॉक्टर बनकर भारतीय फौज़ में शामिल होकर देश की खिदमत करना चाहता है ! अपने लक्ष्य में कोई अड़चन या परेशानी ना हो इसलिए दूर की सोचते हुए ये अभी से अपने नाम से पहले डॉक्टर हसीब लिखता है !

वालिद से दुआ लेते हुए हसीब

हसीब के पिता हाजी मोहम्मद जाहिर ने बताया की हसीब रोज मोबाइल में रोज़े से मुतालिक वीडियो देखकर इस साल शुरू से ही रोज़ा रखने की ज़िद कर रहा था लेकिन इसकी कम उम्र को देखते हुए इसे रोज़ टालते रहते थे !
लेकिन आज हसीब ने सहरी के वक्त उठकर केवल चाय पी और थोड़ा पानी पीया तो हमें महसूस हुआ की ये रोजा नहीं रख पायेगा !
दिन में जब उसे खाने के लिए कहा गया तो बोला आप मुझे रोज़ गुमराह करते हो और रोज़ा नहीं रखवाते हो लेकिन आज तो मैंने रोज़ा रख लिया !

आपको बता दे की रोजेदार हसीब के वालिद हाजी मोहम्मद जाहिर शिक्षक होने के साथ समाज सेवी एवं हज खिदमतगार भी है !
राजस्थान से हज पर जाने वाला कौन सा हाजी इनकी खिदमत से रूबरू होकर दुआ नहीं करता !
हाजी मोहम्मद जाहिर वर्तमान में राजस्थान अधिकारी कर्मचारी माइनॉरिटी संघ (रकमा) के प्रदेश सह कोषाध्यक्ष एवं जयपुर की एकमात्र मुस्लिम शिक्षण संस्थान में महा समिति के सदस्य के साथ साथ जयपुर कब्रिस्तान सफाई अभियान के जिम्मेदार है और पूर्व में
राजस्थान उर्दू अकादमी के सदस्य
राजस्थान शिक्षक कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रह चुके है !

अपने हौसले,ताकत और ज़िद के आगे हसीब ने अपने चेहरे पर भूख और प्यास की सीखन महसूस नहीं होने पर जौहर बाद रोज़े की नियत करवाई गई !

इफ़्तार से पहले मोबाइल से याद की याद पढ़ता नन्हा हसीब !

हसीब के दादा हाजी सत्तार मोहम्मद ने बताया की रोज़े की नियत करने के बाद नन्हे हसीब के चेहरे पर खुशी इस तरह झलक रही थी मानो आज उसने कोई बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया हो !

 

हसीब के इतनी कम उम्र में रोजा रखने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है !

सबसे बड़ी और खास बात यह रही थी कि बिना ढंग से सेहरे नहीं करने के बावजूद अस्र की नमाज़ के बाद खुद मोहल्ले के घरों में जाकर इफ्तारी देकर बुजुर्गों की दुआएं लेने में इस नन्हे रोजेदार ने कोई कसर नहीं छोड़ी !

     इस मौके पर नन्हे हसीब को खास तौर पर उसकी उस्ताज अलवीरा बाज़ी के साथ साथ वाल्दा परवीन बानो,भाई हसन, अल्फ़ेज, फैजान मोहम्मद ओवेश, हुसैन, अनस काशिफ, सोहेल, बहन जोया, निदा फातिमा, दादा हाजी सत्तार मोहम्मद, दादी हज्जन हमशिरा, चाचा मोहम्मद शाहिद, हाजी मोहम्मद असगर नियाज़ी, युनुस नियाज़ी, चाची रुकसाना, राहीन, रूबी एवं मोहल्ले के बुजुर्गो ने खुशी जाहिर करते हुए खूब दुआओं से नवाजा !

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